शनिवार, 22 जनवरी 2011

मुश्किल है खुद को समझाना

दुनिया को समझा लो लेकिन मुश्किल है खुद को समझाना
आसानी में कहाँ सफलता बहुत कठिन है बढ़ते जाना
अपनी विकसित कर्म रह पर गर अंकुश कर ले रही
ऐसे सुंदर मनोभाव से आसन है मंजिल पा जाना
राजनीती का मंत्र सफल है वो ही साधक सफल हुआ है
अपने शतरंजी प्यादों को जिसने सीखा मान दिलाना
कौन है अपना कौन पराया कैसा है ये आना जाना
हमको भी तो सीखना होगा इस दुनिया का ताना baana

2 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ लोग जीते जी इतिहास रच जाते हैं कुछ लोग मर कर इतिहास बनाते हैं और कुछ लोग जीते जी मार दिये जाते हैं फिर इतिहास खुद उनसे बनता हैं बहुत मार्मिक रचना..बहुत सुन्दर...नवरात्रा की आप को शुभकामनायें!

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  2. सभी को इस दुनिया का ताना-बाना सीखना होगा..
    सुंदर भाव

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