शुक्रवार, 23 जुलाई 2010

कौन सुनेगा गीत मेरे...

कौन सुनेगा गीत मेरे, मैं तो पागल आवारा हूँ,
इस दुनिया में कौन है मेरा, मैं तो बेघर बंजारा हूँ।
सबकी आँखों में नफरत के बिम्ब देखता आया हूँ,
लेकिन फिर भी आँख है कोई, जिसका मैं सुंदर तारा हूँ।
कौन सुनेगा गीत मेरे, ......................................
जीवन के आँगन बेशक दुःख का आना जाना हो,
पर मैं इनसे भी बढकर, खुद ही एक दुखियारा हूँ।
कौन सुनेगा गीत मेरे, ......................................
सागर तट का जीवट हूँ मैं, मछली कुछ भी करके देखे,
कमजोर नहीं जिंदादिल हूँ, आखिर मैं भी मछुआरा हूँ।
कौन सुनेगा गीत मेरे, ......................................
लक्ष्य मान बैठा जो बन्दा, आफताब सा रोशन होना,
उसको यह तो भूलना होगा, एक दीप सा उजियारा हूँ।
कौन सुनेगा गीत मेरे, मैं तो पागल आवारा हूँ,
इस दुनिया में कौन है मेरा, मैं तो बेघर बंजारा हूँ

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